स्नेहीजन

Thursday, March 26, 2009

'चरित्र..' /तसलीमा नसरीन (कुमांउनी में )

तु चेलि छै
य भली कै याद राखिये ।
तु जब घरकि देली पार करली
लोग त्वेस तिरछि नज़रले देखाल ।
तु जब गली बटी गुजरली ,
लोग त्वेस गालि द्याल,सिट्टी बजाल।
तु जब गली पार करि बेर
मुख्य सड़क में पुजली,
उन त्वे 'चरित्रहीन' कौला ।
अगर तु निर्जीव छै त
लौटि पड़्ली, नति
जसी जांछी ,जानी रौली...!

5 comments:

alka mishra said...

bhasha achchhi lagi deepak ji

alka mishra said...

bhasha achchhi lagi deepak ji ,bhaw bhi achchhe hain

दर्पण साह said...

dajyu pranam...

yo blog shuru karunak liji bhaute badhai.


झोड़ दिखे दे , चाचर दिखेई दे,

हुडुकी और तुतुरी बजे ले।

काफल पाक गो , दांत झाड़ गाई,

के कूणों छा खे-ले, खे-ले ?




का उने छी, यां तू लमालम,

दिल छु ,तमेइ छुंन कतुके गम ।

धटू कुकूर छु लाल बजारक,

खे बेर हडिक हे रो यो बम।।



उनमे ले के बात छि 'दाज्यू',

याद उनी उ लोग आए ले ...

काफल पाक गो , दांत झाड़ गाई,

के कूणों छा खे-ले, खे-ले ?

निर्मला कपिला said...

दीपक जी आपने तो आते ही छके लगाने शुरू कर दिये वाह शुभकामनाये़

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती