स्नेहीजन

Sunday, March 1, 2009

बोल...!/फ़ैज़ (कुमाउनी में )

बोल...!
कि त्यार होंट आजाद छन ,
बोल ज़बान आन्जि ले तेरी छ।
तेरो सशक्त शरीर तेरवे ,
बोल कि जान आन्जि ले तेरी
बोल ...!
कि लुहारै कि दुकान में ,
तेज़ छन अंगार ,लाल लौह
खुलि ग्यान बंद कड़ी मुख ,
फैलि ग्यो दामन हर जन्जिरौ
बोल यो थोड़ै बखत भौत ,
शरीर ज़बानै मौत हैं पैले
बोल कि सत्य जीवित आन्जि ले
बोल जिलै कूण कैले।

7 comments:

Anonymous said...

हिंदी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

ब्लाग संसार में आपका स्वागत है। लेखन में निरंतरता बनाये रखकर हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दें।
रचनात्मक ब्लाग शब्दकार को रचना प्रेषित कर सहयोग करें।
रायटोक्रेट कुमारेन्द्र

रचना गौड़ ’भारती’ said...

ब्लोगिंग जगत मे स्वागत है
सुन्दर रचना के लिये शुभकामनाएं
भावों कि अभिव्यक्ति मन को सुकून पहुचाती है
लिखते रहिये लिखने वालों कि मन्ज़िल यही है
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

hindi-nikash.blogspot.com said...

आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा.
बेडू पाको बारामासा....." लोकगीत मैंने बहुत बरसों पहले सुना था. अर्थ तो नहीं समझा था पर भाव समझ में आये थे... उसे फिर से याद दिलाने के लिए शुक्रिया... हिमांशु जोशी का उपन्यास " कगार की आग" शैलेश मटियानी की कहानियां और भी बहुत सी पहाडी अंचल की अनेक रचनाएं मुझे बहुत पसंद हैं.
मेरी कामना है कि आपका ब्लॉग जन-सामान्य की भावनाओं और सरोकारों की अभिव्यक्ति हां सशक्त माध्यम बने और आपके शब्द निरंतर नई ऊर्जा, अर्थवत्ता और विस्तार पायें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

शुभकामनाओं के साथ-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818

hindi-nikash.blogspot.com said...

आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा.
बेडू पाको बारामासा....." लोकगीत मैंने बहुत बरसों पहले सुना था. अर्थ तो नहीं समझा था पर भाव समझ में आये थे... उसे फिर से याद दिलाने के लिए शुक्रिया... हिमांशु जोशी का उपन्यास " कगार की आग" शैलेश मटियानी की कहानियां और भी बहुत सी पहाडी अंचल की अनेक रचनाएं मुझे बहुत पसंद हैं.
मेरी कामना है कि आपका ब्लॉग जन-सामान्य की भावनाओं और सरोकारों की अभिव्यक्ति हां सशक्त माध्यम बने और आपके शब्द निरंतर नई ऊर्जा, अर्थवत्ता और विस्तार पायें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

शुभकामनाओं के साथ-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818

ushma said...

bahut sunder!!
yh bhsha bahut pyari hai.
geet ki dhun kano me gunj gei...